नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इसी साल 1 फरवरी को पेश किए गए अंतरिम बजट में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर,यानी इन्कम टैक्स की नई या पुरानी टैक्स व्यवस्था (New or Old Tax Regime) की स्लैबों या दरों में कोई बदलाव नहीं किया था,जिसका अर्थ यह हुआ कि वित्तवर्ष 2024-25 (FY2024-25),या आकलन वर्ष (AY2025-26) में भी टैक्स स्लैब या दरों में कोई अंतर नहीं आएगा. अब बात करते हैं,1 अप्रैल,2023 को शुरू होकर 31 मार्च,2024 को समाप्त हुए वित्तवर्ष 2023-24 (FY2023-24),या आकलन वर्ष 2024-25 (AY2024-25) की,जिसके लिए इन्कम टैक्स रिटर्न (ITR) फ़ाइल करने का वक्त काफ़ी करीब आ गया है,सो,किसी भी करदाता,यानी टैक्सपेयर को बहुत सोच-समझकर और हिसाब-किताब लगाकर तय करना चाहिए किस रिजीम में उनकी टैक्स देनदारी कम होगी,यानी उन्हें किस रिजीम को ऑप्ट करने में ज़्यादा फ़ायदा है.
सो,अब देखते हैं,किस टैक्स व्यवस्था में क्या-क्या स्लैब लागू हैं,और उन पर किस-किस दर से टैक्स,सेस और सरचार्ज देना होगा. पहले,पुरानी टैक्स व्यवस्था को देखते हैं. पुरानी टैक्स व्यवस्था में आयु के आधार पर करमुक्त आय की सीमा अलग-अलग होती है,अब भी उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. 60 वर्ष से कम आयु के करदाताओं के लिए बेसिक करमुक्त आय की सीमा ₹2,50,000 है. इसके बाद ₹2,001 से ₹5,000 तक की करयोग्य आय पर 5 फ़ीसदी टैक्स वसूला जाता है,₹5,001 से ₹10,000 तक की आय पर 20 फ़ीसदी टैक्स लिया जाता है,और ₹10,000 से अधिक आय पर उन्हें 30 फ़ीसदी टैक्स देना होता है.
60 वर्ष से अधिक तथा 80 वर्ष से कम आयु के वरिष्ठ नागरिकों (Senior Citizens) के लिए बेसिक करमुक्त आय की सीमा ₹3,000 है. इसके बाद उन्हें भी ₹3,000 तक की करयोग्य आय पर 5 फ़ीसदी टैक्स देना होगा,000 तक की आय पर 20 फ़ीसदी टैक्स लिया जाएगा,000 से अधिक आय पर उन्हें 30 फ़ीसदी टैक्स देना होगा.
80 वर्ष से अधिक आयु के अतिवरिष्ठ नागरिकों (Super Senior Citizens) के लिए बेसिक करमुक्त आय की सीमा ₹5,000 है,और उसके बाद ₹5,000 तक की आय पर उन्हें 20 फ़ीसदी टैक्स चुकाना होगा,000 से अधिक आय पर उन्हें 30 फ़ीसदी टैक्स देना होगा.
नई और पुरानी टैक्स व्यवस्था में एक अंतर सरचार्ज में भी किया गया है. वर्ष 2023 के बजट में की गई घोषणा के मुताबिक,नई टैक्स व्यवस्था में सरचार्ज की अधिकतम दर को 37 फ़ीसदी से घटाकर 25 फ़ीसदी कर दिया गया था,लेकिन पुरानी टैक्स व्यवस्था में पुरानी दरें ही लागू होंगी.
सो,मौजूदा समय में लागू पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था के तहत स्लैबों और टैक्स दरों की तुलना अपनी आय के अनुसार हिसाब लगाकर ही करें,और फिर उस रिजीम को चुनें,जिसमें आपकी टैक्स देनदारी कम हो.
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