स्पेस से लौटे एस्ट्रोनॉट्स की रिकवरी कैसे होती है.
आप 9 महीने तक बिना चले-फिरे सिर्फ हवा में तैर रहे हों… और फिर अचानक आपको ज़मीन पर चलने के लिए कहा जाए! सुनने में अजीब लग रहा है न? लेकिन अंतरिक्ष यात्रियों की यही हकीकत होती है. ISS से लौटने के बाद सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) और उनके साथियों के साथ क्या हो रहा है? उनके पैरों को क्या हो गया है? और 'Chicken Legs' आखिर होता क्या है? पूरी कहानी आसान भाषा में यहां समझिए.
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1. बेबी फीट सिंड्रोम – अंतरिक्ष में पैरों का उपयोग ना होने से उनके नर्व्स और स्किन सेंसिटिव हो जाती है.
2. चक्कर और उलटी – माइक्रोग्रैविटी से शरीर का बैलेंस खराब हो जाता है,जिससे चक्कर और उलटी जैसा महसूस होता है.
3. बोन डेंसिटी लॉस – हड्डियां कमजोर हो जाती हैं क्योंकि उनमें से कैल्शियम कम होने लगता है.
4. फ्लूइड शिफ्ट – शरीर का तरल पैरों से ऊपर चला जाता है,जिससे चेहरा फूला हुआ दिखता है और पैर और ज्यादा पतले लगते हैं. यही कारण है कि जब अंतरिक्ष यात्री वापस लौटते हैं,तो उन्हें चलने,खड़े रहने और संतुलन बनाए रखने में दिक्कत होती है.
स्ट्रेंथ एक्सरसाइज- मांसपेशियों को फिर से मजबूत करने के लिए वर्कआउट
कार्डियोवस्कुलर ट्रेनिंग- दिल और फेफड़ों की कार्यक्षमता सुधारने के लिए एक्सरसाइज़
बोन रिकवरी थैरेपी- हड्डियों की ताकत बढ़ाने के लिए स्पेशल थेरेपी
बैलेंस ट्रेनिंग- दोबारा चलने और खड़े रहने की क्षमता को सुधारने के लिए ट्रेनिंग.
इसलिए लैंडिंग के बाद पहले ही दिन से एस्ट्रोनोट स्ट्रैंथ,कंडीशनिंग एंड रिहैबिलिटेशन (ASCR) प्रोग्राम शुरू कर दिया जाता है,जो रोज़ 2 घंटे,हफ्ते में 7 दिन चलता है.
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