लखनऊ:
NDTV की खबर पर मुहर लगी है.. 24 नवंबर को संभल में हुई हिंसा के बाद हमने पिछले महीने ये ख़बर बताई थी कि योगी सरकार साल 1978 में हुए दंगे की जांच के आदेश दे सकती है. यूपी सरकार को लगता है कि 46 साल पहले हुए दंगे में जांच सही तरीक़े से नहीं की गई थी. इस दंगे में 184 लोगों की जान गई थी.
योगी सरकार का मानना है कि जांच में हिंदुओं के साथ भेद भाव किया गया था. अब यूपी सरकार ने दंगों की फाइल फिर से खोलने के आदेश दिए हैं. इस मामले में गृह विभाग की तरफ़ से संभल के डीएम और एसपी को चिट्ठी भेज दी गई है.46 साल पहले संभल में हुए दंगे की फाइल फिर से खुलने जा रही है. विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद ये फ़ैसला हुआ है. संभल में 29 मार्च 1978 को दंगा हुआ था. दंगा कई दिनों तक चला था. दो महीने तक शहर में कर्फ़्यू लगा रहा. 184 लोगों की जान इस दंगे में चली गई थी. इस दंगे में 169 मुकदमें दर्ज हुए थे. मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय सिंह ने कल संभल के डीएम राजेन्द्र पेनसिया से दंगे से जुड़े सभी रिकार्ड अपने पास मंगाए है. सूत्र बताते हैं कि कुछ लोगों की शिकायतों पर फिर से कई केस खोले जा सकते हैं. इस मामले में कमिश्नर आंजनेय सिंह ने आज मीटिंग भी बुलाई है.
उन्होंने कहा,‘‘1978 में 184 हिंदुओं को सामूहिक रूप से जला दिया गया था. अनवरत कई महीनों तक कर्फ्यू लगा. 1980-1982 में दंगा और एक-एक की मौत हुई. 1986 में चार लोग मारे गए. 1990-1992 में पांच,1996 में दो मौत हुई. लगातार यह सिलसिला चलता रहा.'' मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि ''1947 से अब तक संभल में 209 हिंदुओं की हत्या हुई और एक भी बार निर्दोष हिंदुओं के लिए दो शब्द नहीं कहे. घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोग निर्दोष हिंदुओं के बारे में दो शब्द नहीं कहेय'' मुख्यमंत्री ने कहा,''संभल में बजरंग बली का जो मंदिर आज निकल रहा है. 1978 से उस मंदिर को इन लोगों ने खुलने नहीं दिया.''
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