डॉ. मनमोहन सिंह को इस चुनाव में करीब 30 हजार वोटों से हा कर सामना करना पड़ा था.
नई दिल्ली:
10 साल तक भारत के प्रधानमंत्री रहने वाले डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने पॉलिटिकल करियर में सिर्फ एक ही बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था... और वो चुनाव भी वो हार गए थे. ये बात है साल 1999 के लोकसभा चुनाव की. मनमोहन सिंह 1991 से 1996 तक नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके थे. बड़े-बड़े नेता उनकी तारीफों के पुल बांधते थे. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के रिश्ते तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पीएम नरसिम्हा राव से भी अच्छे थे. ऐसे में ये 1999 का लोकसभा चुनाव आ गया था. तब पूर्व पीएम मनमोहन को लगा कि बड़े नेता उनके पक्ष में हैं,उनका काम भी अच्छा रहा है. इसलिए ये चुनावी राजनीति में उतरने का सही वक्त है. ऐसे में डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बना लिया था.
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करीब 30 हजार वोटों से हार गए थे मनमोहन
डॉ. मनमोहन सिंह ने चुनाव लड़ने के लिए दक्षिणी दिल्ली की लोकसभा सीट चुनी. यहां पर मुस्लिम और सिखों को मिलाकर आबादी 50% के करीब थी. ये सोचकर कांग्रेस को लगा कि शायद यही सीट मनमोहन सिंह के लिए सबसे मुफीद है,वे चुनाव जीत जाएंगे. बीजेपी ने मनमोहन सिंह के सामने दिल्ली के वरिष्ठ नेता वीके मल्होत्रा को उतारा था. मनमोहन सिंह की तरह उनकी राष्ट्रव्यापी पहचान नहीं थी,लेकिन फिर भी जनसंघ से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले वीके मल्होत्रा ने मनमोहन सिंह को करीब 30 हजार वोटों से हरा दिया था. इस दौरान बीजेपी के वीके मल्होत्रा को 2,230 वोट मिले थे,जबकि मनमोहन को 2,231 मतों से संतुष्टि करनी पड़ी थी.
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