सेंटर ऑफ पॉलिसी एनालिसिस के प्रमुख ने जातियों को मिलने वाले आरक्षण में कई बड़े सुधार किए जाने की भी बात की है
नई दिल्ली:
देश में मौजूद पिछड़ी जातियों को मिलने वाले आरक्षण को लेकर सेंटर ऑफ पॉलिसी एनालिसिस ने एक इंटीग्रल सोशल डेवलपमेंट रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट में अति पिछड़ी जाति से लेकर पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण के नियमों में बदलाव के कई तरह के सुझाव भी दिए गए हैं. NDTV ने सेंटर ऑफ पॉलिसी एनालिसिस के दुर्गानंद झा से खास बातचीत की.उन्होंने एनडीटीवी से कहा कि ये इंटिगरल सोशल डेवलेपमेंट रिपोर्ट है वो कुछ फॉर्मेटिव एक्शन पॉलिसी चल रही है उसमें चेंज करने की बात कर रही है. हम मानते हैं कि जो बैकवर्ड का कंस्ट्रेशन रुरल एरिया में ज्यादा है. सरकार का डेटा भी यही शो कर रहा है. इसलिए कास्ट के बदले अब रुरल एरिया को मानक मानना चाहिए. दूसरा रुरल एरिया में भी परिवार होना चाहिए.
हमने रिजर्वेशन के लिए दो कैटेगरी के रिकमेंड किया है. एक है बैकवर्ड फैमिली और दूसरा है मोस्ट बैकवर्ड फैमिली. हमने बैकवर्ड फैमिली के लिए 9 फीसदी जबकि मोस्ट बैकवर्ड फैमिली को 11 फीसदी आरक्षण देने की बात कही है. उसके बाद हमने ईडब्ल्यूएस है,उसको लेकर हमने ये रिकमंड किया है कि इनको मिलने वाले आरक्षण को 10 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया जाए. और उसका एरिया अर्बन नोटिफाइड ही रहना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि इस रिपोर्ट में हमने एससी कैटेगरी के तहत आने वाले उन परिवारों को 10 फीसदी का आरक्षण देने की बात कही है,जिनको आज तक कोई आरक्षण नहीं मिला है. और पांच फीसदी आरक्षण बाकि के लिए छोड़ दिया जाए. वहीं एसटी को अभी तक साढ़े सात फीसदी आरक्षण मिलता है. हमने इस रिपोर्ट में कहा है कि पांच फीसदी आरक्षण उन परिवारों को मिले जिनको आज तक आरक्षण नहीं मिला है. बाकि ढाई फीसदी अन्य एसटी के लोगों को मिले.
इस इंडेक्सिंग के आधार पर हर परिवार के एक सदस्य को एक नबंर अलॉट कर देना चाहिए. और जब वह 18 वर्ष का हो तो उसे एक्टिव कर ले और अगले 10 साल में वह इसका बेहतर इस्तेमाल कर सके.हम ये रिपोर्ट देश के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया,वित्त मंत्री और सोशल जस्टिस इंपावरमेंट मिनिस्टर को देंगे.हमे लगता है कि हमारा देश अभी आइडेंटिटी पॉलिटिक्स के ट्रैप में फंसा है. हम इस ट्रैप से देश को निकालना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि हमारा देश जाति के ट्रैप में ना फंसे.
अब देखिए राहुल गांधी और तेजस्वी यादव युवा नेता भी आज जातिगत जनगणना की बात कर रहे हैं. इस तरह की बात का अब कोई मतलब नहीं है. हमे लगता है कि ऐसे नेताओं को इन चीजों पर ज्यादा फोकस करने की जगह भारत के भविष्य को लेकर ज्यादा बात करनी चाहिए.
हमारी क्यूरेट की गई सामग्री का अन्वेषण करें, ग्राउंडब्रेकिंग नवाचारों के बारे में सूचित रहें, और विज्ञान और तकनीक के भविष्य में यात्रा करें।
© प्रौद्योगिकी सुर्खियाँ
गोपनीयता नीति