नई दिल्ली:
सरकार ने बताया है कि बैंकों ने पिछले 10 वित्तीय वर्षों में करीब 16.35 लाख करोड़ रुपये की गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) या नहीं चुकाए गए कर्जों को बट्टे खाते में डाल दिया है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सबसे अधिक 2,36,265 करोड़ रुपये के एनपीए बट्टे खाते में डाले गए. वहीं 2014-15 में 58,786 करोड़ रुपये के एनपीए बट्टे खाते में डाले गए थे. यह पिछले 10 सालों में सबसे कम है.
उन्होंने कहा कि बैंक अपने पास उपलब्ध विभिन्न वसूली तंत्रों के तहत उधारकर्ताओं के विरुद्ध शुरू की गई वसूली कार्रवाइयों को जारी रखते हैं,जैसे कि दीवानी अदालतों या ऋण वसूली अधिकरणों में वाद दायर करना,वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम के तहत कार्रवाई करना. इसके अलावा,इनमें दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण में मामले दायर करना आदि भी शामिल है.
कर्जधारकों से देय राशि की वसूली के संबंध में,बैंक कर्जधाकरकों को कॉल करते हैं और देय राशि के भुगतान के संबंध में ईमेल/पत्र भेजते हैं. वहीं,बैंक कॉरपोरेट कर्जधाकरकों के मामले में कंपनी दिवालियापन समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण से भी संपर्क कर सकते हैं.
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