दिल्ली कोचिंग हादसे पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई
दिल्ली कोचिंग सेंटर हादसे में तीन छात्रों की मौत से पूरा देश गमगीन है. अब इस मामले में दाखिल याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है. कोर्ट में दाखिल याचिका में इस मामले की जांच के लिएउच्च स्तरीय समिति गठित करने की मांग की गई है.कोर्ट ने कहा कि आप हर राहगीर के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं,लेकिन एमसीडी अधिकारियों के खिलाफ आप कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. सरकारी वकील ने बताया कि कुछ नगर निगम अधिकारियों को उनकी चूक के कारण बर्खास्त कर दिया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि आपने जूनियर अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है,लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों का क्या,जिन्हें निगरानी करनी चाहिए थी? कोर्ट नेकोचिंग सेंटर में 3 अभ्यर्थियों की मौत पर एमसीडी आयुक्त,पुलिस उपायुक्त और जांच अधिकारी को शुक्रवार को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया.
अगर समय पर कार्रवाई की जाती,तो उन तीन लोगों की जान बचाई जा सकती थी. यह देखने के लिए उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है कि अधिकारियों को कार्रवाई करने से किसने रोका. यह याचिका 2023 की है लेकिन अधिकारियों ने कोई जवाब दाखिल नहीं किया है. पटेल नगर में एक व्यक्ति की गेट पर करंट लगने से मौत हो गई. रिहायशी इलाकों में कई लाइब्रेरी बेसमेंट में चल रही हैं. एमसीडी चुप है,मुझे नहीं पता क्यों. कई मौजूदा कमिश्नरों की वहां संपत्तियां हैं. यह एक कड़वी सच्चाई है. एमसीडी और फायर डिपार्टमेंट जानबूझकर कार्रवाई नहीं कर रहा है. जिला स्तर के अधिकारी को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए.
2. शिकायत भेजी गई,2 रिमाइंडर भेजे गए,कार्रवाई क्यों नहीं हुई? अगर अधिकारी नियुक्त किया गया था तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई? 3 युवा मर चुके हैं,सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
3. सभी कोचिंग सेंटरों की जांच के लिए जिला स्तरीय समिति गठित की जाए,1 साल बीत चुका है और कुछ नहीं हुआ
इसके साथ ही वकील ने कहा कि कोर्ट पटेल नगर,करोल बाग,राजेंद्र नगर में बहुत सी बहुमंजिला इमारतें हैं. एक इमारत में करीब 50-60 छात्र रह रहे हैं. यहां तक कि बेसमेंट में भी पीजी चल रहे हैं. हर इलाके में अवैध निर्माण को रोकने के लिए एमसीडी की ओर से नियुक्त व्यक्ति हैं,लेकिन वे काम नहीं कर रहे हैं.
हम एमसीडी से प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए कहते हैं,वे कहते हैं कि 5 करोड़ रुपये से ऊपर की कोई भी परियोजना स्थायी समिति द्वारा अनुमोदित की जाएगी. लेकिन कोई समिति नहीं है. आपने इस शहर में इतने सारे अधिकारी बनाए हैं,हर कोई एक दूसरे पर आरोप मढ़ रहा है. कल,उन्होंने कहा कि एक योजना को कैबिनेट में जाना है. कैबिनेट मीटिंग की अगली तारीख क्या है,कोई नहीं जानता! जब आप 5 करोड़ से ज़्यादा की राशि मंजूर नहीं कर सकते,तो आप इस शहर को कैसे चलाएंगे? और दिल्ली पुलिस कहां है? कौन जाँच कर रहा है? वहां इतना पानी कैसे जमा हो गया?
याचिकाकर्ता के वकील ने साथ ही कहा कि अब 6 मंजिलें हैं छत,डबल बेसमेंट ये तो खतरा है. आईएएस सेंटर में नीचे भी एक बेसमेंट था. सरकारी वकील ने कहा कि 35 केंद्र बंद कर दिए गए. हम निरीक्षण कर रहे हैं. एसीजे ने कहा कि आपको पहले अपने बुनियादी ढांचे को सही करना होगा और फिर भवन निर्माण कानूनों को उदार बनाना होगा,लेकिन आप इसका उल्टा कर रहे हैं.
हम इस मामले में जिम्मेदारी तय करने के लिए आदेश पारित करेंगे. यह बुनियादी ढांचे का टूटना है और इसे किसी वैधानिक तंत्र में जाना चाहिए. बहुत सारे अधिकारी दुर्भाग्य से विपरीत उद्देश्यों के लिए काम कर रहे हैं. एक-दूसरे पर आरोप लगाने का खेल चल रहा है. दिल्ली के पूरे प्रशासनिक ढांचे की फिर से जांच की जानी चाहिए. सरकार के आवास मामलों के विभाग ने जवाब मांगा है. एसीजे ने कहा कि ऐसा हो सकता है,लेकिन वे प्रशासनिक अव्यवस्था का ख्याल कैसे रखेंगे?
सरकार ने कहा कि स्थानीय कानूनों के भीतर संघर्ष हैं. डीजेबी अधिनियम कहता है कि यह गीले कचरे के लिए जिम्मेदार है. लेकिन एमसीडी अधिनियम कहता है कि निश्चित गहराई के नाले इसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं. इसलिए,बहुत कुछ किया जाना है. एमसीडी के वरिष्ठ अधिकारियों को दौरा करना होगा,तभी बदलाव आएगा. कृपया कल तक हलफनामे में बताएं कि आपने क्या कार्रवाई की है.
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