नई दिल्ली:
भारत ने यह साफ कर दिया है कि सैटकॉम के स्पेक्ट्रम (सेटेलाइट से इंटरनेट) की नीलामी नहीं की जाएगी,बल्कि उसका आवंटन प्रशासनिक आधार पर किया जाएगा. सरकार ने यह फैसला ऐसे समय लिया जब इसको लेकर बाजार में होड़ मची हुई थी. भारत में इसके लिए स्टारलिंक के मालिक एलन मस्क रुचि दिखा रहे हैं. मस्क इस स्पेक्ट्रम के प्रशासनिक आबंटन के पक्ष में हैं. वहीं भारतीय बाजार की दिग्गज रिलायंस जियो और एयरलेट इसकी नीलामी की पक्षधर हैं.आइए जानते हैं कि सैटेलाइट से इंटरनेट देने की यह तकनीक है क्या और भारत में इसकी संभावनाएं कितनी हैं.
नरेंद्र मोदी सरकार दूरसंचार अधिनियम,2023 लेकर आई थी. इसे संसद ने दिसंबर 2023 में पारित किया था. इसी कानून में इस बात के प्रावधान किए गए हैं कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं होगी और इसे प्रशासनिक आधार पर आबंटित किया जाएगा.अब दूरसंचार विभाग ने टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी (ट्राई) से कहा है कि वो सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को आबंटित करने की प्रक्रिया बनाए.
सैटकॉम के जरिए कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए उपग्रहों की एक चेन का इस्तेमाल होता है. इसमें डेटा भेजने के लिए ऑप्टिकल फाइवर या मोबाइल टॉवर की जरूरत नहीं होती है.सैटेलाइट स्पेक्ट्रम 1.5 और 51.5 गीगाहर्ट्ज के बीच काम करता है. इससे तेज स्पीड वाली ब्राडबैंड सेवाएं दी जा सकती हैं. इसकी प्रकृति ही इसे विशेष बनाती है. दूरदराज के बहुत से इलाकों,जंगलों और पहाड़ों पर अभी भी 5जी की सुविधा नहीं है.
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