नई दिल्ली:
सोमवार रात नेपाल में एक नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम हुआ. इसमें नेपाल की दो सबसे बड़ी पार्टियों ने नई सरकार बनाने के लिए हाथ मिला लिया है. नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल ने मिल कर नेशनल कंसेंसस गवर्नमेंट बनाने के लिए हाथ मिलाया है. मंशा उस गठबंधन सरकार को सत्ता से हटाने की है जिसका नेतृत्व पुष्पा कमल दहल प्रचंड कर रहे हैं. ज़ाहिर है प्रचंड की कुर्सी ख़तरे में पड़ने जा रही है. उन्हें एक महीने के भीतर बहुमत साबित करना होगा नहीं तो फिर राष्ट्रपति नए गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे.
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर दऊबा और कम्यूनिष्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल – Unified Marxist Leninist (CPN-UML) के चेयरमैन और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बीच जो डील हुई है उसके मुताबिक़ दोनों नेता बारी बारी से प्रधानमंत्री बनेंगे. एक साल के भीतर तीसरी बार सरकार बदलेगी. KP शर्मा ओली चौथी बार प्रधान मंत्री बनेंगे और जबकि शेर बहादुर देऊबा छठी बार प्रधानमंत्री बनेंगे
नेपाल में पिछले 13 सालों में 16 सरकारें बन और गिर चुकी हैं. इस तरह भारत के पड़ोसी देश में राजनीतिक अस्थिरता का दौर जारी है.ग़ौरतलब है कि नेपाल की प्रतिनिधि सभा जिसमें कि कुल 275 सीटें हैं उसमें नेपाली कांग्रेस के 89 सीट है जबकि CPN-UML के पास 78 सीट है. ये दोनों मिला कर 167 होते हैं जबकि बहुमत के लिए महज़ 138 सीट चाहिए.
दोनों पार्टियों के बीच हुए समझौते की अब तक जो जानकारी सामने आयी है उसके मुताबिक़ दोनों नई सरकार तो बनाएंगे ही,चुनाव प्रक्रिया में सुधार और संविधान में संशोधन भी करेंगे. साथ ही पावर शेयरिंग फॉर्मूला यानि कि सत्ता में जिस तरह की भागीदारी हो इसका रोडमैप तैयार करेंगे. देऊबा और ओली डेढ़-डेढ़ साल के लिए पीएम बनेंगे. पीएम का पद पहले ओली संभालेंगे सूत्रों के हवाले से ये भी रिपोर्ट किया गया है.
इससे पहले CPN-UML पार्टी प्रचंड सरकार को समर्थन दे रही थी लेकिन इसने शनिवार को समर्थन वापस ले लिया गया है. इनका समर्थन चार महीने का ही रहा. नेपाल से आ रही जानकारी के मुताबिक़ प्रचंड सरकार में शामिल CPN-UML के मंत्री सामूहिक इस्तीफ़े का फ़ैसला किया है.
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