सुप्रीम कोर्ट ने मामले के आरोपी को आरोपमुक्त किया.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरानटिप्पणी करते हुए कहा कि किसी को 'मियां-तियां' या 'पाकिस्तानी' कहना भले ही गलत हो सकता है. लेकिन अपराध नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट ने एक सरकारी कर्मचारी को 'पाकिस्तानी' कहने के मामले पर ये टिप्पणी करते हुए केस बंद कर दिया औरआरोपी को आरोपमुक्त कर दिया.सुप्रीम कोर्ट नेकहा,किसी को 'मियां- तियां या 'पाकिस्तानी' कहना IPC की धारा 298 के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के अपराध के बराबर नहीं. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ का ये फैसला 11 फरवरी का है.
पीठ ने कहा निश्चित रूप,दिए गए बयान गलत हैं.हालांकि,यह सूचना देनेवाले की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के बराबर नहीं है.इसलिए,हमारा मानना है कि अपीलकर्ता को धारा 298 IPC के तहत भी आरोपमुक्त किया जाना चाहिए.
सत्र न्यायालय और राजस्थान हाईकोर्ट ने उक्त आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया,जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई.शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अपीलकर्ता द्वारा धारा 353 आईपीसी के तहत कोई हमला या बल प्रयोग नहीं किया गया था.इसलिए हाईकोर्ट को अपीलकर्ता को धारा 353 आईपीसी के तहत आरोपमुक्त कर देना चाहिए था. अदालत ने यह भी माना कि अपीलकर्ता पर धारा 504 आईपीसी के तहत आरोप नहीं लगाया जा सकता,क्योंकि उसकी ओर से ऐसा कोई कार्य नहीं किया गया. जिससे शांति भंग हो सकती हो,इसलिए उसे धारा 504 आईपीसी के तहत भी आरोपमुक्त किया जाना चाहिए.धारा 298 के संबंध में न्यायालय ने कहा कि यद्यपि उक्त कथन खराब थे,लेकिन उक्त प्रावधान के तहत अपराध कायम नहीं रहेगा.इसलिए आरोपी को सभी अपराधों से मुक्त कर दिया गया.
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