ऊर्जा

मार्च 2032 तक 384 गीगावॉट के उच्चतम स्तर तक पहुंच सकती है बिजली की मांग

Feb 27, 2024
बिजली (Electricity) की मांग साल-दर-साल बढ़ना स्वाभाविक है, लेकिन बदलते मौसम के चलते इसकी मांग सरकार की अपेक्षा से कही ज्यादा तेजी से बढ़ी है. ब्लूमबर्ग के मुताबिक भारत ने बिजली की मांग को लेकर पहले जो अनुमान लगाया था उसे बढ़ा दिया है क्योंकि इसकी खपत लगातार अपेक्षा से कहीं ज्यादा हो रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी अधिकारियों को अब उम्मीद है कि मार्च 2032 तक 12 महीनों में बिजली की मांग 384 गीगावॉट के उच्चतम स्तर तक पहुंच जाएगी, जो मई में जारी उनके सरकारी अनुमान से 5 फीसदी ज्यादा है. इसलिए भारत ने 2031-2032 में चरम बिजली की मांग को लेकर जो पूर्वानुमान मई में किया था उसे अब और बढ़ा दिया है.
भारत में हर साल 6% बढ़ सकती है बिजली की मांग
 
दरअसल, पिछले साल बिजली की मांग में तेज वृद्धि के बाद इसे लेकर किए पूर्वानुमानों की समीक्षा की गई. क्योंकि बढ़ते तापमान के चलते पिछले साल एयर कंडीशनर और सिंचाई के लिए इस्तेमाल किए गए पंपों की वजह से उम्मीद से कहीं ज्यादा बिजली की खपत बढ़ी. भारत के ऊर्जा मंत्रालय ने इस मामले पर पूछे जाने पर कोई भी जवाब नहीं दिया है. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency - IEA) के मुताबिक, भारत में बिजली की मांग 2023 में 7% बढ़ी और तेज आर्थिक गतिविधियों के चलते 2026 तक हर साल इसमें औसतन 6% की बढ़ोतरी होने की संभावना है.
 
88 गीगावॉट की नई थर्मल पावर कैपेसिटी
पिछले साल बिजली की अधिकतम मांग 243 गीगावॉट तक पहुंच गई थी, जो बिजली मंत्रालय के 229 गीगावॉट के अनुमान से ज्यादा थी. इसे देखते हुए भारत ने दिसंबर में घोषणा की है कि वह 2032 की शुरुआत तक लगभग 88 गीगावॉट की नई थर्मल पावर कैपेसिटी को जोड़ेगा, जिनमें से ज्यादातर कोयला आधारित प्लांट होंगे - जो कि पहले बनाई योजना से करीब दो-तिहाई ज्यादा है. मालूम हो कि मौजूदा समय में भारत के बिजली उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी 70% है और इसे देखते हुए लगता है कि कम से कम एक दशक तक यह ऊर्जा का मुख्य स्रोत बना रहेगा.
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