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अब आ रहा आठवां वेतन आयोग: जानिए सरकारी कर्मचारियों की क्यों है मौजां ही मौजां!

Jan 17, 2025 IDOPRESS

आठवें वेतन आयोग के गठन का केंद्र सरकार का फैसला करीब एक करोड़ सरकारी कर्मचारियों के लिए गुड न्यूज लेकर आया है. आयोग बनेगा. सिफारिशें आएंगी. अगर भत्ते-वत्तों पर आयोग की नजर पहले की तरह मेहरबान रही,तो सरकारी नौकरी वालों की मौजां ही मौजां समझिए. दरअसल सरकारी नौकरी में सैलरी से ज्यादा मजा भत्तों का माना जाता रहा है. सवाल यह है कि निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी इसमें क्या गुड न्यूज छिपी है? क्या प्राइवेट वाली सैलरी के मामले में सरकारी वालों से पहले से मौज काट रहे हैं? इसे हम नीचे बताएंगे. लेकिन यह तय है कि आठवें वेतन आयोग से सैलरी केंद्रीय कर्मचारियों की जरूर बढ़ेगी,लेकिन इसका असर मार्केट पर दिखेगा. सवाल यह भी रहेगा कि वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद प्राइवेट सेक्टर के लिए टैलंट को खींचना कितना महंगा हो जाएगा. जाहिर तौर पर सिफारिशों का बाकी सेक्टरों में कर्मचारियों की सैलरी पर भी दिखेगा. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी सरकार के इस फैसले की जानकारी देते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि एक बार आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हो जाएंगी,तो देश के सभी संगठनों पर इसका असर दिखेगा. सभी संगठन इसको फॉलो करते रहे हैं.


वेतन आयोग की ABCD

देश में 1947 से अब तक 7 वेतन आयोग बने हैं2016 में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हुईं थींअब 2026 में अगले वेतन आयोग सिफारिशें लागू होनी हैंउम्मीद है कि 2025 में 8वां आयोग गठित होने से तय समय पर रिपोर्ट आएगीकेंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा 2026 से पहले आ जाएंगी सिफारिशेंराज्य सरकारों,PSU और बाकी सभी स्टेक होल्डर्स के साथ चर्चा होगीआयोग के अध्यक्ष और उसके दो सदस्यों को जल्द घोषणा होगी

सरकारी Vs प्राइवेट: किसकी मौज

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से पहले IIM अहमदाबाद ने सरकारी कर्मचारियों और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की सैलरी की तुलना की थी. इसमें उसने पाया था कि निचले पायदान पर बैठे सरकारी कर्मचारी की सैलरी निजी क्षेत्र से ज्यादा है. मसलन अगर ड्राइवर की ही बात करें तो इसमें दोगुने तक का फर्क था. 2015 में की गई इस स्टडी के मुताबिक तब सरकारी ड्राइवर का औसत वेतन करीब 18 हजार रुपये था,जो तब मार्केट के हिसाब से करीब दोगुना था. लेकिन सरकारी अधिकारियों की सैलरी की बात करें,तो इसमें कॉर्पोरेट के मैनेजर बाजी मारते हैं. सातवें वेतन आयोग की सिफारिश से पहले की इस स्टडी में सरकारी अधिकारी की सैलरी 58100 से शुरू होती है. जॉइंट सेक्रटरी की सैलरी 1.82 लाख,सेक्रटरी की 2.25 लाख और कैबिनेट सेक्रटरी की सैलरी 2.5 लाख थी. लेकिन इसमें बड़ी बात यह है कि अगर भत्तों और बंगलों को मिला दें तो यह कई गुना बैठ जाएगी. मसलन कैबिनेट सेक्रटरी का लुटियंस जोन के बंगले का किराया जाहिर तौर पर उनकी सैलरी से ज्यादा है. ऐसे में भत्तों और सैलरी का जोड़ करें,तो सरकारी कर्मचारी ज्यादा मौज में रहते हैं.

सरकारी कर्मचारियों के भत्ते जिस पर दिल आ जाए


बुक अलाउंसः भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों को साल में एक बार यह अलाउंस मिलता है. इसमें किताबें और स्टडी मटीरियल खरीदने के लिए 15 हजार रुपये मिलते हैं.ब्रीफकेस अलाउंसः केंद्रीय सचिव रैंक के अधिकारियों को भत्ते का यह अनूठा तोहफा मिलता है. ब्रीफकेस,पर्स,सरकारी बैग खरीदने के लिए वे 10 हजार रुपये तक रिंबर्स करवा सकते हैं.सीक्रेट अलाउंसः कैबिनेट सचिवालय के अफसरों को गुप्त कागजातों और संवेदनशील ड्यूटी को अंजाम देने के लिए हर महीने वेतन में यह भत्ता मिलता है.

अब जरा जॉब में हिडन बेनिफिट्स यानी की छिपे हुए फायदों को भी समझिए. इसकी तुलना अगर आप करेंगे तो सरकारी नौकरी से प्यारी कुछ लगेगी नहीं. नीचे सरकारी और प्राइवेट नौकरी के कुछ फायदे नुकसान को जरा समझिए

सुविधाएंसरकारी कर्मचारीप्राइवेट कर्मचारीजॉब सिक्यॉरिटीहैनहीं हैमहंगाई के हिसाब से सैलरी बढ़ोतरीहोती हैनहीं होतीसालाना इंक्रिमेटपक्का हैतय नहीं हैभत्तेकरीब 196 तरह के भत्ते हैंसीमित हैंअनलिमिटेड मेडिकल सुविधाहैनहीं हैरिटायरमेंट के बाद पेंशन,मेडिकलहैनहीं हैटारगेट्सउतना प्रेशर नहींटारगेट पर जॉब चलती है

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