हाथरस सत्संग हादसे में उजड़े कई परिवार
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश के हाथरस सत्संग हादसे को लेकरदाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने को भी कहा है. हालांकि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बेशक ये परेशान करने वाली घटनाएं हैंऔर आमतौर पर ऐसी घटनाओं को बड़ा मुद्दा बनाने के लिए ऐसा किया जाता है. हाई कोर्ट इस मामले से निपटने के लिए सक्षम है,इसलिए वहां जाइए. सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस में हुई भगदड़ की जांच की मांग वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आज ये रिपोर्ट दी गई. 850 पन्नों की ये जांच रिपोर्ट कई चीजों से पर्दा उठा सकती है,क्योंकि इसमें 128 लोगों के बयान दर्ज किये गए हैं.इस रिपोर्ट में सिलसिलेवार तरीक़े से बताया गया है कि किस तरह से हाथरस सत्संग में भगदड़ हुई. इस कार्यक्रम को लेकर क्या इंतज़ाम थे,किसका क्या रोल रहा,घटना के लिए ज़िम्मेदार कौन है? आगरा की एडीजी अनुपमा कुलश्रेष्ठ और अलीगढ की डिविजनल कमिश्नर चैत्रा वी ने ये रिपोर्ट तैयार की है. समझा जा रहा है कि इसी रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई हो सकती है. एसआईटी की रिपोर्ट 850 पन्नों की बताई जा रही है.
* साज़िश से इनकार नहीं,जांच की ज़रूरत.
* आयोजकों की लापरवाही से हुआ हादसा.
* स्थानीय प्रशासन ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया.
एसडीएम,सीओ,तहसीलदार समेत छह निलंबित.* एसआईटी ने चश्मदीदों और साक्ष्यों के आधार पर आयोजकों को दोषी माना .
* आयोजकों ने तथ्य छुपाकर आयोजन की अनुमति ली.
* तहसील स्तर के अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरता से ना लेते हुए ऊपर के अधिकारियों को सूचित तक नहीं किया .
* एसडीएम ने बिना आयोजन स्थल का मुआयना किए अनुमति दी .
* आयोजकों ने तय मानकों का पालन नहीं किया .
* आयोजन मण्डल के लोगों ने अव्यवस्था फैलाई .
* आयोजकों ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया .
* आयोजन स्थल पर भीड़ नियंत्रित करने के लिए बेरिकेटिंग नहीं .
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