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दुनिया में पहली बार! ज्यादा 'गैस' छोड़ने वाली गाय और सूअरों पर लगेगा टैक्स

Jun 27, 2024 IDOPRESS

नई दिल्ली:

डेनमार्क वर्ष 2030 से पशुपालकों पर उनकी गायों,भेड़ों और सूअरों द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों के लिए कर लगाएगा. ऐसा करने वाला वह विश्व का पहला देश होगा,क्योंकि उसका लक्ष्य मीथेन उत्सर्जन का एक प्रमुख स्रोत है,जो वैश्विक तापमान में वृद्धि में योगदान देने वाली सबसे शक्तिशाली गैसों में से एक है. देखा जाए तो इस तरह का टैक्स दुनिया में पहली बार हो रहा है.

कराधान मंत्री जेप्पे ब्रुस ने कहा कि इसका लक्ष्य 2030 तक डेनमार्क के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 1990 के स्तर से 70% तक कम करना है.क्या है मामला?

2030 तक,डेनमार्क के पशुपालकों पर प्रति टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर 300 क्रोनर ($43) का कर लगाया जाएगा. 2035 तक यह कर बढ़कर 750 क्रोनर ($108) हो जाएगा. हालांकि,60% की आयकर कटौती के कारण,प्रति टन वास्तविक लागत 120 क्रोनर ($17.3) से शुरू होगी और 2035 तक 300 क्रोनर तक बढ़ जाएगी.

यद्यपि जलवायु परिवर्तन में कार्बन डाइऑक्साइड की भूमिका के कारण आमतौर पर अधिक ध्यान दिया जाता है,लेकिन अमेरिकी राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन के अनुसार,20 वर्ष के समय-मान पर मीथेन लगभग 87 गुना अधिक ऊष्मा सोखती है.

मीथेन का स्तर,जो लैंडफिल,तेल और प्राकृतिक गैस प्रणालियों और पशुधन सहित स्रोतों से उत्सर्जित होता है,2020 के बाद से विशेष रूप से तेजी से बढ़ा है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का कहना है कि मानव-जनित मीथेन उत्सर्जन में पशुधन का योगदान लगभग 32% है.

ब्रुस ने कहा,"हम 2045 में जलवायु तटस्थ बनने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाएंगे." उन्होंने कहा कि डेनमार्क "कृषि पर वास्तविक CO2 कर लागू करने वाला दुनिया का पहला देश होगा" और उम्मीद है कि अन्य देश भी इसका अनुसरण करेंगे.

न्यूजीलैंड ने भी नियम बनाया था

न्यूजीलैंड ने 2025 में लागू होने वाला एक ऐसा ही कानून पारित किया था. हालांकि,किसानों की कड़ी आलोचना और 2023 के चुनाव में केंद्र-वामपंथी सत्तारूढ़ गुट से केंद्र-दक्षिणपंथी गुट में सरकार बदलने के बाद बुधवार को कानून को क़ानून की किताब से हटा दिया गया. न्यूजीलैंड ने कहा कि वह मीथेन को कम करने के अन्य तरीकों की खोज के पक्ष में अपनी उत्सर्जन व्यापार योजना से कृषि को बाहर कर देगा.

डेनमार्क में,सोमवार देर रात केंद्र-दक्षिणपंथी सरकार और किसानों,उद्योग,यूनियनों आदि के प्रतिनिधियों के बीच समझौता हुआ और इसे मंगलवार को प्रस्तुत किया गया.डेनमार्क का यह कदम यूरोप भर के किसानों द्वारा जलवायु परिवर्तन शमन उपायों और नियमों के खिलाफ महीनों से किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के बाद आया है,जिनके बारे में उनका कहना है कि वे दिवालियापन की ओर बढ़ रहे हैं.

डेनमार्क में सबसे बड़ा प्रकृति संरक्षण और पर्यावरण संगठन,डेनिश सोसाइटी फॉर नेचर कंजर्वेशन ने कर समझौते को "एक ऐतिहासिक समझौता" बताया.

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